नैनीताल – जहां झीलें दिल से बातें करती हैं
कभी झील के पानी में अपना अक्स देखा है? नैनीताल में जब पहली बार नजर झील पर पड़ती है, तो दिल ठहर सा जाता है। उत्तराखंड की गोद में बसा ये प्यारा सा शहर, तक़रीबन 2,084 मीटर की ऊँचाई पर बसेरा करता है। इसे झीलों का शहर यूँ ही नहीं कहा जाता – यहाँ की नैनी झील जैसे किसी आँख का दिल से जुड़ा आईना लगती है।
सर्द हवा, नीला आसमान, और पहाड़ों की बाहों में लिपटा ये शहर हर मौसम में एक नया चेहरा दिखाता है।
गर्मियों में इसकी ठंडक राहत देती है, बरसात में झीलें इश्क़ की दास्ताँ सुनाती हैं, और सर्दियों में बर्फबारी इस वादी को चाँदी का चादर उढ़ा देती है।
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नैनीताल यात्रा के लिए ज़रूरी टिप्स
- यात्रा की बुकिंग पहले से करें, खासकर पीक सीज़न में।
- आरामदायक कपड़े, गर्म कपड़े और ट्रैकिंग शूज़ ज़रूर साथ लें।
- स्थानीय गाइड लें तो अनुभव और भी बेहतर हो सकता है।
- दिल और आँखें खुली रखिए — यहाँ की हवा हर ज़ख्म भर देती है।
नैनीताल कैसे पहुँचे, कहाँ ठहरें, और कहाँ खाएं और खर्च कितना आएगा?
- दिल्ली से चलें तो काठगोदाम तक ट्रेन आपकी हमसफ़र बन सकती है। वहाँ से 34 किलोमीटर की दूरी टैक्सी या बस से तय की जाती है।
- दिल्ली से सीधी AC बसें भी मिल जाती हैं — सफर तक़रीबन 7–8 घंटे का होता है मगर हर मोड़ पर वादियाँ आपका इस्तक़बाल करती हैं।
- लुधियाना या अन्य उत्तर भारतीय शहरों से आने वाले मुसाफ़िर भी ट्रेन या बस के ज़रिए आसानी से पहुँच सकते हैं।
- अगर आप खुद की गाड़ी से आ रहे हैं, तो दिल्ली से नैनीताल की 300 किलोमीटर की रोड ट्रिप हर मोड़ पर दिल जीत लेती है।
कहाँ ठहरें?
नैनीताल में ठहरने के लिए बेहतरीन होटल्स
- बजट में: कुन्हा, होटल मनोहर,Zostel, Hotel Himalaya जैसे मध्यम वर्गीय होटल्स सुकून देते हैं।
- मिड रेंज: Vikram Vintage Inn, The Pavilion
- लग्ज़री: अगर लग्ज़री में रहना चाहें, तो the retreat hotel, Shervani Hilltop, होटल निनमाही जैसे रिसॉर्ट्स हर ख्वाहिश को पूरा करते हैं।
- झील किनारे अगर आपका कमरा हो, तो सुबह उठते ही परिंदों की आवाज़ और झील की ठंडक से दिन की शुरुआत — और क्या चाहिए?
नैनीताल का खाना – ज़ायकों में छुपी मोहब्बत
सफ़र अधूरा है जब तक ज़ायका ज़बान से न मिला हो। नैनीताल का लोकल खाना एक अलग ही अनुभव है। यहाँ आपको भट्ट की चुरकानी, रस, आलू के गुटके, और सिंघौड़ी जैसे पहाड़ी पकवान मिलेंगे, जिनकी महक ही आपको भूखा कर दे।
मॉल रोड और थांडी सड़क पर बहुत से छोटे-छोटे ढाबे और कैफ़े हैं जहाँ लोकल स्वाद मिलते हैं। साथ ही, यहाँ की गरमा-गरम चाय और ताज़ा बना हुआ बुन जैसी मिठाइयाँ, दिल को भी ताज़ा कर देती हैं।
- यहाँ की गलियों में चाट, टिक्की, भट्ट की दाल जैसी देसी चीज़ों का स्वाद ज़ुबान पर रह जाता है।
- कुछ खास खाना हो तो ‘द बुक कैफे’ या ‘सावन’ जैसे रेस्टोरेंट में बैठकर पहाड़ी थाली का लुत्फ उठाइए।
- कुमाऊँनी थाली में परोसा जाने वाला ढोकला, आलू के गुटके, भट्ट की दाल जैसे व्यंजन, पहाड़ की मिट्टी की खुशबू से भरपूर होते हैं।
- और हाँ, गरमा-गरम चाय पीना मत भूलिए — ठंडी हवा और गर्म चाय का जो साथ में मज़ा है, वो सिर्फ यहाँ मिलता है।
कितना खर्च आ सकता है?
- औसतन ₹1500–₹2500 प्रति दिन (खाना + रहना + घूमना)
- ऑफ सीजन में रेट्स सस्ते मिलते हैं।
नैनीताल यात्रा के लिए सही मौसम
नैनीताल की फ़िज़ा हर मौसम में कुछ नया सुनाती है। यहाँ की वादियाँ हर मौसम में जैसे अलग चोला पहन लेती हैं —
- सर्दियाँ (दिसंबर-फ़रवरी): बर्फ़ से ढकी पहाड़ियां और सड़कें, सर्द हवा की चुभन, और अलाव के पास चाय की प्याली — ये मौसम रूमानियत से भरपूर होता है।
- गर्मियाँ (मार्च-जून): जब मैदानों में लू चलती है, नैनीताल की ठंडी हवाएँ सुकून देती हैं। झीलों की रंगत और मॉल रोड की रौनक देखने लायक होती है।
- मानसून (जुलाई-सितंबर): हरियाली जैसे अपने पूरे हुस्न पर आ जाती है। बादलों की ओट से झांकता सूरज और बारिश की खुशबू यहाँ का दिल बन जाते हैं।
- शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर): साफ़ आसमान, दूर-दूर तक हिमालय की चोटियाँ और त्योहारी मौसम — यह वक्त तस्वीरों और यादों के लिए सबसे बेहतरीन है।
नैनीताल की सबसे बेस्ट जंगह – वो नज़ारे जो आंखों में बस जाएँ

1. नैनी झील
- नैनीताल की रूह, इसकी जान — नैनी झील। ये सिर्फ़ पानी का कोई तालाब नहीं, बल्कि यादों, मोहब्बतों और ख़्वाबों का सागर है। चारों तरफ़ पहाड़ियों की गोद में बसी ये झील, अपने अक्स में पूरा शहर समेटे रहती है।
- झील का आकार आँख जैसा है — शायद इसलिए इसे ‘नैनी’ नाम मिला। कहा जाता है कि माँ सती की नैत्र यहीं गिरे थे, और तभी से ये जगह आस्था, श्रद्धा और शांति का प्रतीक बन गई।
- दिन के वक़्त, सूरज की रौशनी जब इसकी सतह पर पड़ती है, तो झील सोने की तरह चमकती है। और रात को, चाँद की रौशनी में ये झील किसी रुहानी ख़्वाब जैसी मालूम होती है। झील में चलती नावें यूँ लगती हैं जैसे किसी पुराने ग़ज़ल की सतरें पानी में तैर रही हों।
- नैनी झील की सबसे ख़ास बात है नौकायन। लकड़ी की रंग-बिरंगी नावें, जिन पर बैठकर लोग अपने दिल की बातें हवा से बाँटते हैं। नाविक अक्सर लोक-कथाएँ सुनाते हैं — कभी झील की गहराइयों में छिपे राज़, तो कभी पुराने प्रेमियों की कहानियाँ।
नोट :- अगर आप बोट चलना चाहते है पेडल वाली या मोटर वाली या नौका का मज़ा लेना चाहते है तो सबसे बेस्ट टाइम सुबह और शाम का होता है
2. स्नो व्यू पॉइंट: बर्फ़ से ढकी चादरें
- स्नो व्यू, नैनीताल की उन जगहों में से है जहाँ से हिमालय की बर्फ़ीली चोटियाँ इतनी क़रीब लगती हैं मानो आप हाथ बढ़ाएं और छू लें। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल, और नंदा कोट जैसे पर्वतों का दीदार होता है, और वो भी ऐसे कि दिल एक पल को वहीं ठहर जाए।
- केबल कार से ऊपर जाते वक़्त झील, शहर और जंगल — सब धीरे-धीरे नीचे छूटते जाते हैं, और ऊपर पहुँचकर बस बर्फ़, हवा और ख़ामोशी मिलती है।
- यहाँ की फ़िज़ा में एक अजीब सी सुकून भरी ठंडक होती है — ना ज़्यादा बोलती है, ना ज़्यादा छुपती है। बस बैठिए, और हिमालय से आँख मिलाइए।
- सर्दियों में यह इलाका सफेद जादू सा लगने लगता है।
टिप्स: साफ़ मौसम में ही जाइए, तभी असली नज़ारा दिखेगा। और एक गरम चाय की प्याली ज़रूर लीजिए — वहाँ की हवा में इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
3. टिफ़िन टॉप (डोरोथीज़ सीट)
- टिफ़िन टॉप, जिसे लोग डोरोथी सीट के नाम से भी जानते हैं, नैनीताल की एक ऐसी ऊँचाई है जहाँ वक़्त थम सा जाता है। शहर की हलचल से थोड़ा हटकर, ये जगह एक शांत पहाड़ी पर बसी है जहाँ तकरीबन 4 किलोमीटर की ट्रेकिंग करके पहुँचा जाता है।
- रास्ते में हरियाली से लदे दरख़्त, पंछियों की चहचहाहट और झरनों की सरगोशी मिलती है — जैसे कुदरत आपका हाथ थामे चल रही हो। और जब आप टिफ़िन टॉप पहुँचते हैं, तो सामने बिछा नज़ारा दिल की गहराइयों तक उतरता चला जाता है — दूर-दूर तक फैले पहाड़, नीले आसमान की चादर और झील की झलक।
- डोरोथी सीट असल में एक अंग्रेज़ महिला की याद में बनाई गई एक छोटी सी स्मृति-स्थल है, मगर इसके चारों ओर जो सुकून है, वो किसी ताजमहल से कम नहीं।
ख़ास बात: ये जगह पिकनिक के लिए भी मशहूर है। बहुत से लोग दोपहर का खाना यहीं लाकर खाते हैं, इसीलिए इसे ‘टिफ़िन टॉप’ कहा गया।
टिप्स: सुबह-सवेरे ट्रेक करें, ताकि धूप नरम हो और भीड़ कम। साथ में पानी और हल्का खाना ज़रूर रखें।
4. बोटानिकल गार्डन – फूलों की ख़ुशबू में लिपटी क़ुदरत की किताब
- गवर्नमेंट बोटानिकल गार्डन, जिसे लोग हिमालयन बोटानिकल गार्डन भी कहते हैं, नैनीताल से कुछ दूरी पर, सरीता ताल के पास सुकून से बसा है। ये जगह यूं लगती है जैसे क़ुदरत ने अपने दिल के सबसे रंगीन पन्ने यहाँ खोल दिए हों।
- चारों तरफ़ हज़ारों रंगों में मुस्कुराते फूल, नीम सी छांव वाले पेड़, और झरनों की सरसराहट — सब मिलकर एक ऐसा मंज़र रचते हैं जिसे देखकर दिल ख़ामोशी से मुस्कुरा उठता है। यहाँ क़रीब 500 से ज़्यादा जड़ी-बूटियाँ और पौधों की किस्में हैं, जिनमें से कई सिर्फ़ हिमालय की गोद में ही पाई जाती हैं।
- ख़ास बात: फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीनों, बच्चों और हर उस रूह के लिए ये जगह एक ख़ूबसूरत तोहफ़ा है, जो क़ुदरत की बातों को दिल से सुनना जानती है।
टिप्स: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच आना सबसे बेहतर रहता है — हरियाली अपने हुस्न पर होती है और मौसम भी महबूब सा लगता है।
5. नैनी पीक (चाइना पीक) – बादलों से मुलाक़ात की एक ख़ामोश जगह
- नैनीताल की सबसे ऊँची चोटी — नैनी पीक, जिसे लोग चाइना पीक भी कहते हैं, किसी ताजगी भरी ख़्वाबगाह से कम नहीं। यहाँ तक पहुँचने के लिए एक हरे-भरे जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है, जिसमें पाइन और देवदार के दरख़्त ऐसे सरगोशी करते हैं जैसे कोई पुरानी दास्तां सुना रहे हों।
- जब आप चोटी पर पहुँचते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे ज़मीन छूट गई हो और आप बादलों के दरम्यान कहीं खो गए हों। चारों ओर की वादियाँ, नैनी झील का मनमोहक नज़ारा और हवा की सरसराहट — सब कुछ दिल में उतरता चला जाता है।
टिप्स: ट्रैकिंग शौक़ीनों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं। सुबह-सुबह जाना बेहतर रहता है, क्योंकि दोपहर के बाद धुंध छा जाती है।
6. खुर्पाताल – नीले पानी की ख़ामोश दास्तान
- नैनीताल से लगभग 12 किलोमीटर दूर बसा खुर्पाताल, एक ऐसा झीलों का गांव है जो आज भी कुदरत के गले से लिपटा हुआ है। यहाँ का पानी गहरा नीला है, और उसकी सतह इतनी शांत कि आपकी तस्वीर उसमें जैसे खुद को देखने लगे।
- यह जगह भीड़-भाड़ से दूर है, और फोटोग्राफी, मछली पकड़ने या बस यूं ही बैठकर सोचने के लिए बेहतरीन है। यहाँ की वादियाँ किसान-बस्ती जैसी लगती हैं — सीढ़ीनुमा खेत और पहाड़ों की गोद में बसी छोटी-छोटी झोपड़ियाँ।
ख़ास बात: अगर आप नैनीताल की शांति को महसूस करना चाहते हैं, तो खुर्पाताल आपको अपने सुकून में समो लेगा।
7. लैंड्स एंड – जहाँ धरती ख़त्म होती है और फ़लक शुरू
- लैंड्स एंड एक ऐसा मुकाम है जहाँ खड़े होकर ऐसा लगता है कि ये पहाड़ अब खत्म हो रहे हैं और आगे सिर्फ़ आसमान है। यहाँ से दिखने वाला नज़ारा — खुर्पाताल झील, गहरी वादियाँ और नीला आसमान — एक परिकथा जैसा महसूस होता है।
- इस जगह तक ट्रैकिंग करके पहुँचना एक रोमांच भरा अनुभव है। चुपचाप बैठकर जब आप नीचे झांकते हैं, तो नफ़्स को एक नया रूहानी एहसास मिलता है, जैसे आप वाक़ई दुनिया के सिरे पर आ खड़े हुए हों।
टिप्स: सवेरे या सूरज ढलते वक़्त जाना सबसे बेहतर है। लाइट सही रहती है और भीड़ भी कम होती है।
8. गोविंद बल्लभ पंत म्यूज़ियम – यादों की तह में छुपा नैनीताल
- अगर आप नैनीताल की रूह और इसके इतिहास को जानना चाहते हैं, तो गोविंद बल्लभ पंत म्यूज़ियम ज़रूर जाएँ। यहाँ की दीवारों पर टंगी पुरानी तस्वीरें, दस्तावेज़, औज़ार और लोक-कलाएं, आपको एक पुराने ज़माने में ले जाती हैं।
- यह म्यूज़ियम शहर के बीचोंबीच, मॉल रोड पर बसा है, और हर उस मुसाफ़िर के लिए एक ठहराव है जो सिर्फ़ नज़ारे ही नहीं, जगह की रूह भी समझना चाहता है।
9. भीमताल – एक झील, एक रिवायत, एक ख़ामोश दास्तान
- नैनीताल से तक़रीबन 22 किलोमीटर दूर बसा भीमताल, सिर्फ़ एक झील नहीं — बल्के एक पुराना क़िस्सा है जो महाभारत के वीर भीम से जुड़ता है। कहा जाता है कि इस झील का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा।
- भीमताल झील नैनी झील से बड़ी और कहीं ज़्यादा शांत है। इसके बीचोंबीच एक छोटा-सा टापू है, जिस पर बना एक्वेरियम बच्चों और बड़ों दोनों के लिए बेहद दिलचस्प होता है। झील के किनारे टहलना, नाव की सैर करना, और आसपास की हरियाली को महसूस करना — ये सब मिलकर दिल को नर्म कर देते हैं।
नर्म सलाह: झील किनारे बैठकर शाम का इंतज़ार करें — जब सूरज अपनी आख़िरी रौशनी पानी में घोल देता है, वो मंज़र कुछ और ही होता है।
10. सातताल – सात कहानियाँ एक झील में समाई हुईं
- नैनीताल से लगभग 23 किलोमीटर दूर, एक ऐसी जगह है जहाँ सात अलग-अलग झीलें आपस में जुड़कर सातताल कहलाती हैं। ये जगह इतनी ख़ामोश और सजीली है कि वहां की ताज़ा हवा, पत्तों की सरसराहट, और पानी की आवाज़ मिलकर एक गीत गाती हैं — ऐसा गीत जो सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।
- यहाँ के जंगलों में रंग-बिरंगे परिंदों की मौजूदगी, ट्रैकिंग के रास्ते और झीलों के इर्द-गिर्द बसी हरियाली, सब कुछ किसी पुराने ख्वाब की मानिंद लगता है।
ख़ास बात: सातताल अब तक उन चुनिंदा जगहों में से है जो टूरिज़्म की चकाचौंध से काफ़ी हद तक दूर है — इसलिए यहाँ की ताजगी अब भी बाक़ी है।
11. नौकुचियाताल – वो झील जिसमें नौ कोने हैं और अनगिनत ख़्वाब
- नौकुचियाताल, यानी वो झील जिसके नौ कोने हैं। नैनीताल से लगभग 26 किलोमीटर दूर ये झील अपने गहराई और रहस्यमय सुकून के लिए मशहूर है।
- कहते हैं, जो इस झील के सभी नौ कोनों को एक ही बार में देख ले, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। चाहे वो मिथ है या नहीं, पर जो सुकून इस झील के किनारे बैठकर महसूस होता है — वो वाक़ई रूह को हल्का कर देता है।
- यहाँ बोटिंग, पैराग्लाइडिंग और फोटोग्राफी जैसे शौक़ पूरे करने की तमाम सहूलियतें हैं। लेकिन जो चीज़ सबसे अहम है, वो है यहाँ का सन्नाटा, जो दिल के शोर को ख़ामोश कर देता है।
12. रामगढ़ – खामोशी की वो तह, जहाँ शब्द भी रूक जाते हैं
- नैनीताल से लगभग 30 किलोमीटर दूर बसा रामगढ़, कभी रवींद्रनाथ टैगोर, महादेवी वर्मा और कई मशहूर शायरों और साहित्यकारों का आशियाना रहा है।
- यह जगह अपने सेब, आड़ू और खुबानी के बाग़ों के लिए मशहूर है। गर्मियों में यहाँ की वादियाँ रंगीन हो जाती हैं, और सर्दियों में चादर ओढ़े सोई हुई मिलती हैं।
- रामगढ़ की सबसे बड़ी ख़ासियत है इसकी ख़ामोशी — एक ऐसी ख़ामोशी जिसमें आपको अपनी आवाज़ भी कुछ देर के लिए अनजान लगने लगती है।
तजुर्बा: अगर आप लिखने-पढ़ने के शौक़ीन हैं, तो रामगढ़ में बिताया हर लम्हा आपकी रूह को रौशन कर देगा।
13. मुक्तेश्वर – जहाँ हवाओं में भी इल्म की ख़ुशबू है
- नाम ही काफी है — मुक्तेश्वर, यानी वो जगह जो मुक्ति का एहसास दे। नैनीताल से करीब 46 किलोमीटर दूर, ये जगह एक ऊँचे पठार पर बसी है, जहाँ से हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों का नज़ारा साफ़ दिखता है।
- यहाँ का मुक्तेश्वर मंदिर, जो शिवजी को समर्पित है, एक आध्यात्मिक अनुभव देता है। इसके अलावा यहाँ की चट्टानों से नीचे झाँकने पर जो भय और सौंदर्य का मिलाजुला एहसास होता है, वो हर किसी को अंदर तक हिला देता है।
दिल से बात: यहाँ का सूर्योदय देखना किसी दुआ के पूरा होने जैसा लगता है।
14. घोड़ाखाल – जहां मंदिर भी है और सादगी भी
- घोड़ाखाल, यानी “घोड़े की झील”, अपने घोड़ाखाल मंदिर के लिए मशहूर है जो बालकनाथ जी को समर्पित है।
- यहाँ लोग अपनी मुरादों के लिए मंदिर में घंटियाँ चढ़ाते हैं, और आप देखेंगे कि पूरा मंदिर हज़ारों घंटियों से घिरा हुआ है। ये एक बेहद भावुक और शांत जगह है, जहाँ आस्था और प्रकृति दोनों साथ चलती हैं।
ख़ूबसूरती: मंदिर के आसपास का नज़ारा इतना हरा-भरा और ठंडा होता है कि मन अपने आप झुक जाता है।
15. नैनीताल चिड़ियाघर (Pt. G.B. Pant High Altitude Zoo)
- मल्ली ताल की ऊँचाई पर बना ये ज़ू भारत के चुनिंदा High Altitude Zoos में से एक है। यहाँ 2100 मीटर की ऊँचाई पर ऐसे जंगली जानवर बसे हैं, जो आमतौर पर सिर्फ़ हिमालय की गहराइयों में ही मिलते हैं।
- यहाँ आप हिमालयी भालू, स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ), साइबेरियन टाइगर, तेंदुआ, बार्किंग डियर, और कई दुर्लभ पक्षियों को नज़दीक से देख सकते हैं। हर पिंजरे के पास एक कहानी है — और हर जानवर आपको क़ुदरत की खामोश ज़बान से कुछ कहता है।
ख़ास बात: ये ज़ू बच्चों के लिए तो दिलचस्प है ही, लेकिन बड़ों के लिए भी एक तजुर्बा है — जहाँ इंसान और जानवर के बीच की खामोशी में एक रिश्ता बुनता है।
छुपी हुई कुछ ख़ूबसूरत जगहें – भीड़ से दूर एकांत की तलाश में

किलबरी बर्ड सेंचुरी
यहाँ 240+ प्रजातियों के परिंदे मिलते हैं। सुबह-सवेरे इनकी चहचहाहट दिल को सुकून देती है। प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं।
पंगोट गांव
नैनीताल से 15 किमी दूर, ये गांव ट्रेकिंग, होमस्टे और लोकल संस्कृति देखने के लिए एक ख़ूबसूरत ठिकाना है।
गग्गर का डाँडा
कम जाना जाने वाला ट्रैकिंग स्पॉट, जहाँ से नैनीताल और आसपास की घाटियाँ साफ़ दिखाई देती हैं। भीड़-भाड़ से दूर, शांति की तलाश वालों के लिए मुफ़ीद।
सरिताताल
एक छोटी सी शांत झील जो नैनी झील से दूर, छुपी हुई सी लगती है। यहाँ कुछ पल बैठना आत्मा को सुकून दे जाता है।
ग्वालियर हाउस / राज भवन
ब्रिटिश काल का शानदार वास्तुशिल्प और बाग़-बग़ीचे
हिमालय दर्शन पॉइंट
जहाँ से बर्फ़ से ढके हिमालय के दर्शन होते हैं
एरियल रोपवे – झील से आसमान तक की उड़ान
नैनीताल रोपवे झील के किनारे से शुरू होकर स्नो व्यू पॉइंट तक ले जाती है। जब आप हवा में झूलते हुए नैनी झील को नीचे देखते हैं, तो लगता है जैसे किसी हसीन ख्वाब में सफर कर रहे हों। ये नज़ारा आपको ज़िंदगी भर याद रहता है।
बारापत्थर – ट्रैकिंग और घुड़सवारी का छोटा जन्नत
घोड़ों की टापें, हरियाली से घिरे रास्ते, और पहाड़ों की ठंडी साँसों से गुज़रता बारापत्थर, उन लोगों के लिए है जो adventure में सुकून ढूंढते हैं। यहाँ से आसपास के कई ट्रैक शुरू होते हैं और घुड़सवारी का भी इंतज़ाम रहता है।
नैनीताल का मौसम और हर मौसम की ख़ासियत
हर मौसम में नैनीताल का रंग बदला हुआ होता है।
- सर्दियाँ (दिसंबर-फ़रवरी): बर्फ़बारी, सफ़ेद चादर ओढ़े वादियाँ, और अलाव के पास बैठी मोहब्बत।
- गर्मियाँ (मार्च-जून): पहाड़ों की ताज़ा हवा, स्कूलों की छुट्टियाँ, और मॉल रोड की रौनक।
- मानसून (जुलाई-सितंबर): बारिश की खुशबू, हरियाली की नमी, और झीलों का भरपूर पानी।
- शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर): साफ़ आसमान, दूर-दूर तक दिखते हिमालय के दृश्य, और त्योहारों का मौसम।
लोक-त्योहार और सांस्कृतिक मेलों का ज़िक्र
- नंदा देवी मेला, उत्तरायणी मेला, हनुमान जयंती की झांकी, और दीवाली पर झील की सजावट — ये सब नैनीताल की आत्मा का हिस्सा हैं।
- इन मेलों का विवरण, तारीख़ें, और उनके पीछे की कहानियाँ बताने से ब्लॉग ज़्यादा भावनात्मक और उपयोगी बन जाएगा।
- दीवाली: जब नैनी झील दीपों से जगमगा उठती है, तो लगता है जैसे तारे ज़मीन पर उतर आए हों।
एक शाम थांडी सड़क पर – ख़ामोशी से भी मिलती है मोहब्बत
- जब सूरज ढलता है, और ठंडी हवा चेहरे को छूती है, तब थांडी सड़क की सैर दिल का सबसे नर्म कोना छु लेती है। ये रास्ता नैनी झील के किनारे से होकर निकलता है, और शाम के वक़्त ये इतना पुरसुकून होता है कि आप चाहेंगे वक़्त यही थम जाए।
- यहाँ गाड़ियों की इजाज़त नहीं होती, इसलिए आपको सिर्फ़ अपने क़दमों की आवाज़ और झील के पानी की सरसराहट सुनाई देती है।
लोकल मार्केट और शॉपिंग – यादों के तोहफ़े
- तिब्बतन मार्केट, भूटिया बाज़ार, और मॉल रोड पर बहुत से छोटे-बड़े दुकानदार हैं जो अपने हाथों से बनाई हुई चीज़ें बेचते हैं — लकड़ी के खिलौने, ऊनी कपड़े, मोमबत्तियाँ, लोकल मसाले, और हैंडमेड ज्वेलरी जो देखने में भी बहुत खूबसूरत होती है।
- यहाँ की हर चीज़ में एक लोकल तासीर है, एक सादगी है, जो आपको शहर की दौड़-भाग से दूर एक सुकून देती है।
- यहाँ से कोई न कोई तोहफा ज़रूर ले जाएँ ताके जब भी आप उसे देखे आपके नैनीताल की यादो के पल वापस लोट आएं
यादो में लिपटे आखरी शब्द:
- नैनीताल सिर्फ एक टूरिस्ट प्लेस नहीं, ये एक एहसास है। एक हसीन मुलाक़ात, जो दिल में उतर जाती है।
जब आप लौटते हैं, तो सिर्फ तस्वीरें नहीं — झील की ठंडी हवा, मंदिर की घंटियाँ, और बाज़ार की रौनक — सब कुछ आपके साथ चलता है। अगर आप कभी अपनी ज़िंदगी के शोर से थक जाएँ, तो नैनीताल आइए — यहाँ की झीलें, पहाड़, कहानियाँ, और खामोशियाँ मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाते हैं जहाँ वक़्त रुक जाता है।
यह ब्लॉग सिर्फ़ एक गाइड नहीं, बल्कि एक ऐसा दास्ताननुमा सफर है जो हर मुसाफ़िर को खुद से जोड़ लेता है।और आपको ये पसंद आया तो comment में ज़रूर बताये और अपने सुझाव भी दें।
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