भारत के 70+ सबसे प्रसिद्ध और अलग तरह के आमों की पहचान, स्वाद और खेती
जब गर्मी अपने परवान पर होती है, और सूरज की तपिश से सारा आलम बेहाल होता है, तब एक चीज़ है जो दिल को सुकून और ज़ुबान को मिठास दे जाती है – वो है हमारा प्यारा आम। इसे यूं ही ‘फलों का राजा’ नहीं कहा जाता। भारत में आम की ऐसी-ऐसी किस्में हैं कि गिनते-गिनते शायद उंगलियाँ कम पड़ जाएं। हर आम की अपनी एक अलग कहानी, एक अलग पहचान, और एक अलग ही स्वाद है।
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके हाथ में जो आम है, वो आखिर है कौन सा? दशहरी, अल्फांसो, लंगड़ा या चौसा? अक्सर हम सिर्फ़ आम का मज़ा लेते हैं, लेकिन उसकी पहचान और उसके पीछे की कहानी से अनजान रहते हैं। तो आइए, आज एक ऐसी ही दिलकश यात्रा पर चलते हैं, जहाँ हम जानेंगे भारत में उगने वाले कुछ सबसे ख़ास और मशहूर आमों के बारे में। ये सिर्फ़ जानकारी नहीं, बल्कि आम के शौक़ीनों के लिए एक ‘ज्ञान का ज़ायका’ है!
इस पोस्ट में हम भारत के अलग-अलग कोनों में उगने वाले मशहूर आमों की न सिर्फ़ पहचान करेंगे, बल्कि ये भी जानेंगे कि उनकी खेती कहाँ होती है, उनका स्वाद कैसा होता है और आख़िर क्यों वो इतने ख़ास हैं। हमारा दावा है कि इस मुकम्मल गाइड को पढ़ने के बाद आपको आम के बारे में किसी और वेबसाइट पर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यक़ीन मानिए, इस सफ़र के बाद आप आम को सिर्फ़ खाएंगे नहीं, बल्कि उसे महसूस करेंगे और पहचानना भी सीख जाएंगे।
भारत के कुछ सबसे ख़ास और मशहूर आमों की किस्में:उनकी पहचान
भारत की धरती ने हमें आम की अनमोल सौगात दी है। यहाँ हर राज्य, हर ज़िले की अपनी एक ख़ास पहचान है, और यही बात आमों पर भी लागू होती है। चलिए, बारी-बारी से कुछ सबसे लोकप्रिय और अनोखे आमों से रूबरू होते हैं। हर आम की अपनी एक दास्तान है, जो हम आपको बताएंगे:
1. अल्फांसो आम (हापुस) – ‘आमों का बादशाह’
पहचान: अल्फांसो, जिसे महाराष्ट्र में ‘हापुस’ के नाम से जाना जाता है, अपनी बेमिसाल मिठास, गहरी नारंगी रंगत और मख़मली गूदे के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इसका आकार अंडाकार होता है और पकने पर इसकी त्वचा हल्के पीले से नारंगी रंग की हो जाती है। इसमें फाइबर बहुत कम होता है, जिससे यह खाने में बेहद मुलायम लगता है। इसकी खुशबू इतनी दिलकश होती है कि बस सूंघते ही दिल बाग-बाग हो जाए। इसका स्वाद थोड़ा खट्टा-मीठा होता है जो धीरे-धीरे मिठास में बदल जाता है। यह भारत के सबसे महंगे और निर्यात किए जाने वाले आमों में से एक है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र (रत्नागिरी, देवगढ़, सिंधुदुर्ग और रायगढ़) और गुजरात के वलसाड और नवसारी जिलों में उगाया जाता है।
2. दशहरी आम – ‘नवाबी ज़ायका’
पहचान: दशहरी आम उत्तर भारत की शान है और अपनी मीठी खुशबू और लाजवाब स्वाद के लिए जाना जाता है। इसका रंग हल्का हरा-पीला होता है और आकार थोड़ा लंबा व पतला होता है। पकने पर भी यह पूरी तरह पीला नहीं होता, बल्कि हल्का हरापन लिए रहता है। इसका गूदा बहुत मीठा, रेशेदार और गहरे पीले रंग का होता है। इसमें एक ख़ास तरह की सुगंध होती है जो इसे दूसरों से अलग बनाती है। इसे छीलना और काटना आसान होता है। यह मई के अंत से जुलाई के अंत तक उपलब्ध होता है।
कहाँ उगते हैं: इसका जन्मस्थान उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद (लखनऊ के पास) है। यह उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में भी खूब उगाया जाता है।
3. लंगड़ा आम – ‘बनारस का गौरव’
पहचान: लंगड़ा आम का नाम थोड़ा अजीब लग सकता है (कहा जाता है कि एक लंगड़े व्यक्ति ने इसकी पहली पौध लगाई थी), लेकिन इसका स्वाद उतना ही लाजवाब होता है। इसका रंग पकने पर भी हरा ही रहता है, कभी-कभी हल्के पीले धब्बे दिख सकते हैं। इसका आकार अंडाकार-गोल होता है और इसमें एक अनोखी खट्टी-मीठी खुशबू होती है। गूदा गहरा पीला और रेशेदार होता है, जो बेहद रसीला और सुगंधित होता है। यह अपनी हल्की खटास और मीठे स्वाद के सही संतुलन के लिए जाना जाता है। यह जून के अंत तक उपलब्ध होता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) क्षेत्र में पाया जाता है। इसके अलावा, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी इसकी खेती होती है।
4. चौसा आम – ‘मिठास का उस्ताद’
पहचान: चौसा आम उन लोगों के लिए है जिन्हें बेइंतहा मीठा पसंद है। इसका नाम शेरशाह सूरी ने 1539 में चौसा की लड़ाई जीतने के बाद रखा था। यह आकार में थोड़ा छोटा और अंडाकार होता है, पकने पर सुनहरा पीला हो जाता है। इसकी खासियत इसकी अत्यधिक मिठास, कम फाइबर और मोहक सुगंध है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है। यह आमतौर पर अन्य आमों के सीज़न के अंत में आता है, जिससे गर्मियों के आखिरी दिनों में भी आम का मज़ा लिया जा सकता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश (हरदोई, सहारनपुर) और बिहार में उगाया जाता है। यह जुलाई-अगस्त के अंत तक उपलब्ध होता है।
5. केसर आम – ‘गुजरात का सुनहरा रत्न’
पहचान: केसर आम, जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, अपनी केसर जैसी खुशबू और नारंगी रंग के गूदे के लिए जाना जाता है। यह मध्यम आकार का होता है और इसका रंग पकने पर गहरा पीला हो जाता है। इसका स्वाद मीठा और थोड़ा तीखा होता है, जो इसे जूस और आमरस के लिए बहुत लोकप्रिय बनाता है। इसमें फाइबर की मात्रा मध्यम होती है और इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से गुजरात के गिर क्षेत्र में उगाया जाता है, खासकर गिरनार पहाड़ियों के आसपास। यह मई के अंत से जून के मध्य तक उपलब्ध होता है।
6. तोतापुरी आम – ‘तोते जैसी चोंच’
पहचान: तोतापुरी आम अपने अनोखे आकार के लिए जाना जाता है, जिसका निचला हिस्सा तोते की चोंच जैसा दिखता है। यह हरा ही रहता है, पकने पर भी पीला नहीं होता। इसका स्वाद हल्का खट्टा और मीठा होता है, और इसमें काफी गूदा होता है। इसमें रेशा कम होता है। यह आम तौर पर कच्चा खाया जाता है या अचार, सलाद और चटनी बनाने के लिए बहुत पसंद किया जाता है। इसका प्रयोग मैंगो पल्प बनाने में भी होता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में उगाया जाता है।
7. बदाामी आम (कर्नाटक अल्फांसो) – ‘दक्षिण का हापुस’
पहचान: बदाामी आम को अक्सर कर्नाटक का अल्फांसो कहा जाता है क्योंकि यह स्वाद और बनावट में अल्फांसो से काफी मिलता-जुलता है, लेकिन थोड़ा कम महंगा होता है। इसका आकार मध्यम होता है और पकने पर सुनहरा-पीला रंग लेता है। गूदा मीठा, मलाईदार और फाइबर रहित होता है। इसकी खुशबू भी मनमोहक होती है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो अल्फांसो का स्वाद चाहते हैं लेकिन बजट में।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।
8. सिंदूरा आम (सिंधुरा) – ‘रंगीला आम’
पहचान: सिंदूरा आम अपनी आकर्षक लाल-नारंगी रंगत के लिए जाना जाता है, खासकर ऊपरी सिरे पर जहाँ सूरज की रोशनी पड़ती है। इसका आकार थोड़ा बड़ा और अंडाकार होता है। गूदा मीठा, थोड़ा रेशेदार और गहरे पीले रंग का होता है। यह अक्सर जूस और शेक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसमें पर्याप्त गूदा होता है। यह अपनी हल्की खटास और मिठास के संतुलन के लिए भी जाना जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में पाया जाता है।
9. पायरी आम (Pairi) – ‘मीठी खुशबू का बादशाह’
पहचान: पायरी आम अपनी तीव्र सुगंध और मीठे-खट्टे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह मध्यम से बड़े आकार का होता है और पकने पर नारंगी-पीला रंग लेता है, जिसमें कभी-कभी लाल रंग के निशान भी होते हैं। गूदा रेशेदार, रसीला और गहरे नारंगी रंग का होता है। यह अक्सर आमरस और जूस बनाने के लिए अल्फांसो के साथ मिलाया जाता है, क्योंकि इसकी खुशबू लाजवाब होती है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
10. बेंगनपल्ली आम (सफेदा) – ‘आंध्र का सफेदा’
पहचान: बेंगनपल्ली, जिसे आंध्र प्रदेश में ‘सफेदा’ के नाम से भी जाना जाता है, आकार में बड़ा और अंडाकार होता है। इसका रंग पकने पर हल्का पीला होता है, जिसमें कभी-कभी हरे निशान भी होते हैं। गूदा सुनहरा पीला, रेशा रहित, मीठा और थोड़ा खट्टा होता है। इसकी त्वचा मोटी होती है जो इसे दूर तक ले जाने के लिए उपयुक्त बनाती है। यह सलाद, मिठाई और सीधे खाने के लिए बहुत लोकप्रिय है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के बेंगनपल्ली क्षेत्र और तेलंगाना में उगाया जाता है।
11. नीलम आम – ‘देर तक चलने वाली मिठास’
पहचान: नीलम आम अपेक्षाकृत छोटा होता है और पकने पर नारंगी-पीला रंग लेता है। इसकी खासियत यह है कि यह जून के अंत से अगस्त तक उपलब्ध होता है, जिससे आम का सीज़न लंबा चलता है। गूदा रेशा रहित, मीठा और सुगंधित होता है। यह अपने अनोखे स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है और अक्सर इसे ताज़ा खाने के साथ-साथ जैम और जूस बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में व्यापक रूप से उगाया जाता है।
12. आम्रपाली आम – ‘बगीचों का पसंदीदा’
पहचान: आम्रपाली दशहरी और नीलम आम की एक संकर किस्म है, जिसे छोटे पौधों पर भी उगाया जा सकता है। इसका आकार छोटा होता है और रंग गहरा नारंगी-लाल होता है। गूदा अत्यधिक मीठा, रेशा रहित और गहरा नारंगी रंग का होता है। यह अपने गहन स्वाद और लंबे भंडारण जीवन के लिए जाना जाता है। छोटे आकार के कारण यह घरों के बगीचों और घनी खेती के लिए आदर्श है।
कहाँ उगते हैं: यह भारत के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है, खासकर उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में।
13. मल्लिका आम – ‘बेहतरीन स्वाद का संगम’
पहचान: मल्लिका, दशहरी और नीलम का एक और संकर है, जो अपने समृद्ध, शहद जैसे मीठे स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। इसका आकार मध्यम से बड़ा होता है और पकने पर सुनहरा-पीला रंग लेता है। गूदा रेशा रहित, फर्म और गहरे नारंगी रंग का होता है। यह अपनी बेहतरीन गुणवत्ता और लंबी शेल्फ लाइफ के कारण बहुत लोकप्रिय है। इसे अक्सर डेसर्ट और मीठे व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत (कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) और महाराष्ट्र में उगाया जाता है।
14. हिमसागर आम – ‘बंगाल का बादशाह’
पहचान: हिमसागर आम पश्चिम बंगाल और ओडिशा का गौरव है। यह मध्यम आकार का, गोल और पकने पर सुनहरा-पीला रंग का होता है। गूदा अत्यधिक मीठा, मलाईदार, रेशा रहित और सुगंधित होता है। यह अपने अनोखे स्वाद और बेहतरीन सुगंध के लिए जाना जाता है। इसे ताज़ा खाने के साथ-साथ जूस और मिठाइयों में भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। इसका सीज़न छोटा होता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद, नदिया, हुगली) और ओडिशा के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।
15. फ़ाज़ली आम (Fazli) – ‘देर से आने वाला विशाल’
पहचान: फ़ाज़ली आम आकार में बहुत बड़ा होता है, कभी-कभी इसका वज़न एक किलोग्राम तक भी पहुंच जाता है। यह पकने पर हरा-पीला रंग लेता है। गूदा रेशेदार, मीठा और रसदार होता है, जिसमें थोड़ी खटास भी होती है। यह आम तौर पर जूस, जैम, अचार और मुरब्बे बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह आम के सीज़न के अंत में उपलब्ध होता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल (मालदा) और बिहार में उगाया जाता है।
16. इमाम पसंद आम (इमामपसंद) – ‘आमों का नवाब’
पहचान: इमाम पसंद अपने शाही स्वाद, भरपूर सुगंध और रेशा रहित गूदे के लिए प्रसिद्ध है। इसका आकार मध्यम से बड़ा और पकने पर पीला-हरा रंग का होता है। गूदा बेहद मीठा, मलाईदार और सुगंधित होता है। यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित और महंगे आमों में से एक है, जो अपने अनोखे स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में उगाया जाता है।
17. गुलाब ख़ास आम – ‘गुलाब की खुशबू वाला’
पहचान: गुलाब ख़ास आम का नाम इसकी गुलाब जैसी हल्की खुशबू के कारण पड़ा है। यह मध्यम आकार का होता है और इसकी त्वचा पकने पर लाल-हरे रंग की हो जाती है। गूदा मीठा, रेशेदार और गहरे पीले-नारंगी रंग का होता है। यह अक्सर डेसर्ट, जैम और जूस बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, खासकर जब आप आम में एक अलग ही सुगंध चाहते हों।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है।
18. बॉम्बे ग्रीन आम – ‘उत्तरी भारत का हरा रत्न’
पहचान: बॉम्बे ग्रीन आम, जैसा कि नाम से पता चलता है, पकने पर भी हरा ही रहता है। इसका आकार मध्यम होता है और यह अपनी तीव्र खुशबू और मीठे-खट्टे स्वाद के लिए जाना जाता है। इसमें रेशा थोड़ा ज़्यादा होता है, लेकिन इसका स्वाद काफी ताज़गी भरा होता है। यह आमतौर पर जून की शुरुआत में उपलब्ध हो जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों में उगाया जाता है।
19. वनराज आम – ‘गुजरात का अनोखा आम’
पहचान: वनराज आम अपने आकर्षक रंग के लिए जाना जाता है, जो हरे और लाल रंग के मिश्रण में होता है। इसका आकार मध्यम होता है। गूदा मीठा, रेशेदार और थोड़ा खट्टा होता है। यह अक्सर सीधे खाने के लिए और सलाद में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी एक अलग ही पहचान है जो इसे दूसरे आमों से जुदा करती है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से गुजरात में उगाया जाता है।
20. नूरजहाँ आम – ‘एमपी का विशालकाय’
पहचान: नूरजहाँ आम भारत के सबसे बड़े आमों में से एक है, जिसका वज़न कभी-कभी 3-4 किलोग्राम तक भी पहुंच सकता है। यह आकार में बहुत बड़ा और गोल होता है। गूदा मीठा, रेशेदार और सुगंधित होता है। यह अपनी विशालता के लिए मशहूर है और अक्सर खास मौकों पर या प्रदर्शनी में देखा जाता है।
कहाँ उगते हैं: यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में उगाया जाता है।
भारत की 70 प्रसिद्ध आम की किस्में (Indian Mango Varieties)
वैसे तो भारत में आम की 1000 से ज़्यदा किस्मे पाई जाती है लेकिन हम कुछ प्रसिद्ध आम की लिस्ट निचे दे रहे है जिन्हे पढ़कर आप भी आम की सभी किस्मो के बारे में जान जाएंगे।
क्रम | आम का नाम | राज्य | पहचान / विशेषता |
---|---|---|---|
1 | दशहरी | उत्तर प्रदेश | मीठा, गूदा ज़्यादा, पतली गुठली |
2 | हापुस (अलफांसो) | महाराष्ट्र | केसर रंग, मीठा स्वाद |
3 | लंगड़ा | उत्तर प्रदेश | तीखा मीठा, बिना रेशों वाला |
4 | चौसा | बिहार | बहुत रसीला और टिकाऊ |
5 | फजली | बिहार | बहुत बड़ा आकार, रसीला |
6 | केसर | गुजरात | मीठा, सुगंधित, पीला रंग |
7 | तोतापुरी | कर्नाटक | तेज स्वाद, लंबा आकार |
8 | नीलम | आंध्र प्रदेश | गोल, मध्यम मीठा |
9 | बैगनपल्ली | आंध्र प्रदेश | लंबा, हल्का पीला |
10 | अमरापाली | पैन इंडिया | हाइब्रिड, छोटा आकार, मीठा |
11 | मल्लिका | हैदराबाद | गहरा पीला, गूदा ज्यादा |
12 | सुंदरजाम | बंगाल | गहरा लाल रंग, तीव्र स्वाद |
13 | सरोली | पंजाब | जल्दी पकने वाला |
14 | बंबई ग्रीन | उत्तर भारत | हरी अवस्था में खाया जाता है |
15 | रूमानी | तेलंगाना | रसीला, स्वादिष्ट |
16 | गुलाब खास | महाराष्ट्र | गुलाबी छटा, फूलों जैसी खुशबू |
17 | बादामी | कर्नाटक | हापुस जैसा स्वाद |
18 | बेनीशान | आंध्र प्रदेश | लंबा और पतला |
19 | गिर केसर | गुजरात | GI टैग प्राप्त |
20 | पायरी | महाराष्ट्र | तेज मिठास, छोटा आकार |
21 | सिंदूरी | उत्तर भारत | संतरे जैसे रंग वाला |
22 | फरदीन | बिहार | मध्यम मीठा |
23 | चिन्ना रसाल | तेलंगाना | छोटा लेकिन बेहद मीठा |
24 | सेरी | कर्नाटक | रंग-बिरंगे आम |
25 | मुंडप्पा | केरल | स्थानीय किस्म |
26 | गोवा मंकुराड | गोवा | घना गूदा, विशेष स्वाद |
27 | मोहमद खान | उत्तर प्रदेश | पुरानी किस्म |
28 | तोता परी | साउथ इंडिया | रसदार और गूदा रहित |
29 | कालीपटी | महाराष्ट्र | कम मीठा, खुशबूदार |
30 | जर्दालु | बिहार | GI टैग प्राप्त, प्रसिद्ध मिठास |
31 | नूरजहां | मध्य प्रदेश | बहुत बड़ी किस्म |
32 | हीरा | उत्तर भारत | चमकदार पीला रंग |
33 | गुलाबियो | राजस्थान | गुलाबी रंग और खुशबू |
34 | शहंशाह | बिहार | भारी वजन वाला |
35 | सुरभि | उत्तर भारत | खुशबूदार |
36 | नीलिमा | तेलंगाना | नवीन किस्म |
37 | रामकेला | उत्तर प्रदेश | अचार में उपयोगी |
38 | बनीशा | आंध्र प्रदेश | पैकेजिंग में उपयुक्त |
39 | कृष्णा भोग | पश्चिम बंगाल | मीठा और मुलायम |
40 | बजरंगी | बिहार | स्थानीय स्वाद |
41 | गंगा | उत्तर प्रदेश | मध्यम आकार, मीठा |
42 | यामिनी | आंध्र प्रदेश | फूलों की सुगंध |
43 | धूपिया | मध्य भारत | सूरज में पकने वाला |
44 | बंगनपल्ली सुपर | तेलंगाना | हाइब्रिड प्रकार |
45 | संतोषी | बिहार | लोकप्रिय |
46 | कुंदन | हरियाणा | शाही स्वाद |
47 | कांचीपुरम | तमिलनाडु | स्थानीय खट्टा-मीठा स्वाद |
48 | शिवगंगा | उत्तराखंड | ठंडी जलवायु में पनपता |
49 | तमनिया | महाराष्ट्र | देसी किस्म |
50 | राजा आम | उत्तर प्रदेश | प्राचीन राजसी स्वाद |
51 | लक्ष्मी आम | छत्तीसगढ़ | बड़े आकार का |
52 | हरिभोग | पश्चिम बंगाल | स्थानीय डीलक्स |
53 | पारिजात | उत्तर भारत | दुर्लभ स्वाद |
54 | मेघनाथ | बिहार | बहुत बड़ा आकार |
55 | स्वर्णरेखा | आंध्र प्रदेश | सुनहरी रेखाओं वाला |
56 | देवरस आम | छत्तीसगढ़ | स्थानीय लोकप्रियता |
57 | मिराचा | बिहार | मिट्टी की खुशबू वाला |
58 | प्रभा आम | तेलंगाना | GI टैग की मांग में |
59 | शकुंतला | महाराष्ट्र | नई हाइब्रिड किस्म |
60 | अश्विनी | कर्नाटक | जल्दी पकने वाला |
61 | शिवा आम | उत्तर प्रदेश | मध्यम आकार |
62 | सुगंधा | बिहार | अत्यधिक खुशबूदार |
63 | राजपुर | मध्य प्रदेश | पुराना किस्म |
64 | विदेशी हायडेन | केरल | इंपोर्टेड पर भारत में उगता |
65 | अर्चना आम | तेलंगाना | नई किस्म |
66 | गोल्डन आम | उत्तर प्रदेश | सोने सा रंग |
67 | किशनभोग | पश्चिम बंगाल | बड़े वर्ग में लोकप्रिय |
68 | रतनम | कर्नाटक | पाक के बाद गाढ़ा पीला |
69 | नीलकंठ | ओडिशा | स्थानीय विशिष्ट |
70 | काशीविश्वनाथ | उत्तर प्रदेश | देसी पुरानी किस्म |
आमों की पहचान में कुछ और अहम बातें जो कोई और नहीं बताएगा
आमों की दुनिया जितनी बड़ी है, उतनी ही उसकी पहचान के तरीके भी। हर आम की अपनी ख़ासियत है। जब आप बाज़ार जाएं, तो इन बातों पर गौर कर सकते हैं, जिससे आप एक असली पारखी बन पाएंगे:
- छिलके का रंग और चमक: सिर्फ़ पकने पर पीले होने से आम अच्छा नहीं होता। कुछ आम हरे ही मीठे होते हैं। छिलके पर एक प्राकृतिक चमक होनी चाहिए।
- खुशबू: यह सबसे बड़ा पहचानकर्ता है। आम को सूंघकर देखिए, अगर उसमें हल्की और मीठी खुशबू आ रही है, तो समझिए वो पकने वाला है या पक चुका है। रासायनिक रूप से पकाए गए आमों में ऐसी खुशबू नहीं आती।
- छूकर देखें: आम को हल्के हाथों से दबाकर देखें। अगर वह हल्का नरम लगे, तो समझिए वो खाने के लिए तैयार है। बहुत ज़्यादा नरम या बहुत ज़्यादा सख्त आम से बचें।
- डंठल का क्षेत्र: अगर डंठल वाला हिस्सा थोड़ा-सा धंसा हुआ और सुगंधित है, तो आम की गुणवत्ता अच्छी है।
- दाग-धब्बे: हल्के-फुल्के प्राकृतिक दाग-धब्बे ठीक हैं, लेकिन ज़्यादा गहरे या काले धब्बे वाले आम से बचें।
- वज़न: हाथ में लेने पर आम अपने आकार के हिसाब से भारी लगना चाहिए, यह उसके रसदार होने की निशानी है।
आम: सिर्फ़ स्वाद ही नहीं, सेहत का ख़ज़ाना भी
आम सिर्फ़ ज़ायके में ही नहीं, सेहत के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है। इसे ‘सुपरफूड’ कहना गलत नहीं होगा। इसमें विटामिन A (आँखों के लिए), विटामिन C (रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए), और विटामिन E (त्वचा और बालों के लिए) भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, इसमें फाइबर भी होता है जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है, और एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
यह आपकी आँखों की रौशनी, त्वचा की चमक और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है। आम में पाए जाने वाले मिनरल्स जैसे पोटेशियम और मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। लेकिन याद रहे, किसी भी अच्छी चीज़ की अति बुरी होती है, इसलिए इसे भी सीमित मात्रा में ही खाना बेहतर है, खासकर अगर आप डायबिटीज के मरीज़ हैं।
तो, अब आपकी आम पहचान पक्की हो गई ना?
हमें उम्मीद है कि आमों की इस विस्तृत दुनिया को जानने के बाद, आप अपने पसंदीदा आम को और भी ज़्यादा पहचान और समझ के साथ खा पाएंगे। भारत की यह अनमोल सौगात हर साल गर्मी के मौसम को ख़ास बना देती है। अब जब आप बाज़ार जाएं, तो सिर्फ़ आम न खरीदें, बल्कि उसकी कहानी और उसकी पहचान को भी जानें!
भारत के इन अनगिनत आमों में से आपका दिल कौन से आम ने जीता? नीचे कमेंट्स में हमें ज़रूर बताएं और इस मीठे सफ़र को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना न भूलें!
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निष्कर्ष – आम: स्वाद नहीं, एक विरासत
भारत में आम सिर्फ़ गर्मियों का फल नहीं, एक भावना है। अल्फांसो की मिठास हो या दशहरी का नवाबी स्वाद, हर किस्म अपने आप में एक कहानी है। आम हमारे खेतों की पहचान, बचपन की याद, और खान-पान की शान है।
इस पोस्ट में आपने जाना कि हर आम कैसे अलग होता है — स्वाद में, रंग में और ख़ुशबू में। अब जब आप आम खाएँ, तो बस खाइए मत… उसे महसूस भी कीजिए।
क्योंकि आम सिर्फ़ फल नहीं, भारत की मीठी विरासत है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
भारत में आमों की कुल कितनी किस्में पाई जाती हैं?
भारत में आमों की 1500 से भी ज़्यादा किस्में पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 1000 किस्में व्यावसायिक रूप से खेती की जाती हैं।
भारत का सबसे मीठा आम कौन सा है?
चौसा आम को अक्सर भारत के सबसे मीठे आमों में से एक माना जाता है, खासकर उत्तर भारत में। हालांकि, अल्फांसो, दशहरी और केसर भी अपनी बेमिसाल मिठास के लिए प्रसिद्ध हैं। स्वाद व्यक्तिपरक होता है।
किस आम को 'फलों का राजा' कहा जाता है?
अल्फांसो आम को आमतौर पर उसकी बेहतरीन गुणवत्ता, अद्वितीय स्वाद, सुगंध और निर्यात मूल्य के कारण ‘आमों का राजा’ या ‘फलों का बादशाह’ कहा जाता है।
आम की खेती के लिए सबसे अच्छी जलवायु कौन सी है?
आम की खेती के लिए गर्म और शुष्क मौसम वाली उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है। अच्छी धूप और उचित पानी की निकासी वाली मिट्टी इसके लिए आदर्श है।
क्या आम खाने से वजन बढ़ता है?
आम में प्राकृतिक चीनी और कैलोरी होती है। यदि इसे अत्यधिक मात्रा में खाया जाए, तो यह वजन बढ़ा सकता है। हालांकि, संतुलित मात्रा में खाने पर यह एक पौष्टिक और फायदेमंद फल है।
दशहरी आम का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
उत्तर प्रदेश दशहरी आम का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जिसमें मलिहाबाद क्षेत्र इसके लिए विश्व प्रसिद्ध है।
लंगड़ा आम का नाम 'लंगड़ा' क्यों पड़ा?
लोककथा के अनुसार, लंगड़ा आम की पहली पौध एक विकलांग व्यक्ति (लंगड़े) ने लगाई थी, जिससे इसका नाम ‘लंगड़ा’ पड़ गया। यह बनारस की पहचान है।
आम को कैसे पहचाना जाए कि वह प्राकृतिक रूप से पका है?
प्राकृतिक रूप से पके आम में एक मीठी और हल्की खुशबू होती है, छूने पर हल्का नरम लगता है, और डंठल के पास थोड़ी सिकुड़न होती है। रासायनिक रूप से पके आम में ऐसी खुशबू नहीं होती और वो ज़्यादा चमकदार दिख सकते हैं।
भारत में आम का सीजन कब से कब तक रहता है?
भारत में आम का सीजन आमतौर पर मार्च-अप्रैल से शुरू होकर अगस्त तक चलता है, जो विभिन्न किस्मों और क्षेत्रों पर निर्भर करता है। कुछ देर से आने वाली किस्में सितंबर तक भी मिल सकती हैं।
आम खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
आम खरीदते समय उसकी मीठी खुशबू, हल्के दबाव पर नरमपन (कठोर या बहुत ज़्यादा गूदेदार नहीं), और त्वचा पर प्राकृतिक रंग और चमक देखें। काले दाग या बहुत ज़्यादा सिकुड़ा हुआ आम न खरीदें।
आम खाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
आम को सीधे छीलकर खाना सबसे आम तरीका है, लेकिन इसे स्मूदी, शेक, आमरस, सलाद या आइसक्रीम में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कच्चे आम का उपयोग किस लिए किया जाता है?
कच्चे आम का उपयोग मुख्य रूप से अचार, चटनी, पना (गर्मियों का पेय), और सब्ज़ियों में खट्टापन लाने के लिए किया जाता है। यह पाचन में भी सहायक होता है।
क्या आम की गुठली उपयोगी होती है?
हाँ, आम की गुठली में भी कई पोषक तत्व होते हैं। इसका पाउडर बनाकर आटे में मिलाया जा सकता है या इसे पारंपरिक औषधियों में उपयोग किया जाता है।
आम का पेड़ कितने समय में फल देना शुरू करता है?
आम का पेड़ कलम लगाने के 3-5 साल बाद फल देना शुरू कर सकता है, जबकि बीज से उगाए गए पेड़ को फल देने में 5-8 साल या उससे अधिक का समय लग सकता है।
भारत में आम की कौन सी किस्में सबसे ज़्यादा निर्यात की जाती हैं?
भारत से अल्फांसो, केसर, तोतापुरी और दशहरी जैसी किस्में सबसे ज़्यादा निर्यात की जाती हैं, क्योंकि इनकी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बहुत मांग है।
आम के जूस और पल्प में क्या अंतर है?
आम का जूस ताज़े आम को निचोड़कर बनाया जाता है, जबकि पल्प आम के गूदे को प्रोसेस करके बनाया जाता है जिसे अक्सर साल भर संरक्षित करके रखा जाता है और फिर जूस या अन्य उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है।
आम के पेड़ को कौन से रोग या कीट प्रभावित कर सकते हैं?
आम के पेड़ को powdery mildew, anthracnose जैसे फंगल रोग और fruit fly, mango hopper जैसे कीट प्रभावित कर सकते हैं, जिनके लिए उचित प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
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