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क्रिसमस आखिर क्यों मनाया जाता है,और ईसाई पापुलेशन कितनी है

क्रिसमस का असली मतलब: धार्मिक महत्व और दुनियाभर  में मनाए जाने वाली परंपराएँ”

क्रिसमस का मतलब 

क्रिसमस, 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला सबसे बड़ा  ईसाई त्योहार है, जो ईसा मसीह के जन्म की याद में मनाया जाता है। ईसा मसीह को ईसाई धर्म में ईश्वर का पुत्र और मसीहा माना जाता है। यह उत्सव ईसाई धर्म की शुरुआत के समय से ही मनाया जाता है,  उनके मानने वालो ने  यीशु के जन्म को सम्मान देने के लिए इसे मनाना शुरू किया था। क्रिसमस का धार्मिक महत्व गहरा है, क्योंकि यह मानवता के लिए मोक्ष का संदेश देता है, जिसे ईश्वर ने अपने पुत्र के रूप में दिया।

क्रिसमस की उत्पत्ती कैसे हुई 

आज का क्रिसमस कई पगन (अग्नि देवता या अन्य देवी-देवताओं से संबंधित) त्योहारों से प्रभावित है, जो सर्दी के मौसम  में मनाए जाते थे। उदाहरण के तौर पर, “सैटर्नालिया” एक रोमन त्योहार था, जिसमें दावत खिलाने  और उपहारों का आदान-प्रदान होता था। इसी तरह “यूल” नामक पर्व भी था, जो जर्मन संस्कृति से जुड़ा था, जिसमें सदाबहार पेड़ सजाए जाते थे। शुरुआती ईसाई समुदाय ने इन प्रथाओं को अपनाया और ईसाई धर्म को स्थापित करने के लिए इन्हें बदलावों के साथ जोड़ लिया। चौथी शताब्दी में, 25 दिसंबर को यीशु के जन्म का दिन घोषित किया गया।

क्रिसमस की परंपरा कहाँ से शामिल हुई 

क्रिसमस दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, लैटिन अमेरिका में “पोसाड़ा” नामक परंपरा होती है, जिसमें मरियम और जोसेफ के आश्रय की खोज का नाटक किया जाता है। इटली में “फीस्ट ऑफ सेवन फिशेस” होता है, जहां परिवार समुद्री भोजन का आनंद लेते हैं। नॉर्डिक देशों में, “जुल्टॉमटेन” नामक परंपरा होती है, जिसमें एक क्रिसमस ग्नोम को बच्चों के लिए उपहार देने का प्रतीक माना जाता है।

क्रिसमस और ईसाई धर्म 

क्रिसमस, ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन, चर्चों में विशेष सेवाएँ होती हैं, जो सामूहिक प्रार्थना और धार्मिक विचारों को बढ़ावा देती हैं। परिवार अक्सर इस समय में मिलकर  प्रार्थना करते हैं, भगवान का एहसान  व्यक्त करते हैं और यीशु द्वारा सिखाए गए प्यार  और उदारता के मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह दिन ईसाई समुदाय को आपस में जोड़ने का अवसर प्रदान करता है।

क्रिसमस का महत्तव 

क्रिसमस का त्योहार केवल एक खुशी का अवसर नहीं है, बल्कि यह ईसाई विश्वास का केंद्र है। यीशु मसीह का जन्म, जो भगवान के प्रेम और मानवता के लिए उनके संदेश का प्रतीक है, सभी ईसाईयों के लिए एक आस्था का दिन होता है। यह दिन प्रेम, दया, और समर्पण के संदेश को फैलाने का अवसर है, और इसके माध्यम से लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होते हैं।

आज के समय में क्रिसमस

2023 तक, दुनिया में अनुमानित 2.5 अरब ईसाई हैं, जो इस पर्व को मनाते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों और संस्कृतियों में, क्रिसमस के आयोजन में भिन्नताएँ होती हैं, जैसे अमेरिका में जर्मन परंपराओं के अनुसार क्रिसमस ट्री सजाना और मैक्सिको में पिनाटा खेलना। यह दर्शाता है कि क्रिसमस एक अंतर्राष्ट्रीय उत्सव बन चुका है, जो धार्मिकता और सांस्कृतिक विविधताओं का मिलाजुला रूप है।

क्रिसमस का असर दूसरी संस्कृत्यो पर 

हालांकि क्रिसमस एक ईसाई त्योहार है, लेकिन यह अब कई गैर-ईसाई समुदायों में भी मनाया जाता है। इसके वैश्विक संदेश, जैसे अच्छे काम, दया, और सामूहिक खुशी, ने इसे एक सामान्य उत्सव बना दिया है। विभिन्न धार्मिक विश्वासों के लोग भी इस दिन को खुशी और भाईचारे के अवसर के रूप में मनाते हैं।

पुरानी चुनोतियाँ और नया भविष्य 

आज के समय में, क्रिसमस परंपराएँ कारोबार और बाजारवाद की चपेट में हैं। लोग इसे उपहार देने और आनंद लेने का समय मानते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व अक्सर पीछे छूट जाता है। भविष्य में, जैसे-जैसे समाज में बदलाव आएगा, क्रिसमस उत्सव की परंपराएँ भी विकसित होती रहेंगी। नई संस्कृतियाँ, टेक्नोलॉजी, और वैश्वीकरण इसे और अधिक अलग-अलग तरह से  और आनंदमई  बनाएंगे।   

क्रिसमस न केवल एक त्योहार है, बल्कि यह एक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामूहिक भावना का प्रतीक है। यह विश्वास, प्रेम और मोक्ष के संदेश को फैलाने का समय है, और यह समुदायों को जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। चाहे वह पारंपरिक धार्मिक सेवा हो या सांस्कृतिक उत्सव, क्रिसमस हर किसी के जीवन में एक अनोखी खुशी और उम्मीद का संचार करता है।

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