Retro में सूर्या की दमदार एक्टिंग और कमजोर कहानी का मेल
फिल्म का नाम: रेट्रो
रिलीज डेट: 1 मई 2025
भाषा: तमिल, तेलुगु, हिंदी (डब)
निर्देशक: कार्तिक सुब्बाराज
कास्ट: सूर्या, पूजा हेगड़े, जोजू जॉर्ज, जयराम, विदु, नासर, प्रकाश राज
संगीत: संतोष नारायणन
सिनेमैटोग्राफर: श्रेयास कृष्णा
एडिटर: शफीक मोहम्मद अली
फिल्म "रेट्रो" का बेसब्री से था इंतज़ार
सुपरस्टार सूर्या की हर फिल्म का इंतजार फैन्स के बीच रहता है। जब यह घोषणा हुई कि सूर्या ‘रेट्रो’ में नजर आने वाले हैं और फिल्म के निर्देशक हैं कार्तिक सुब्बाराज – जो एक अलग तरह की सिनेमा शैली के लिए जाने जाते हैं – तब से ही फिल्म को लेकर काफी चर्चा शुरू हो गई थी। इसके टीज़र और ट्रेलर ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी।
लेकिन क्या फिल्म ने उम्मीदों पर खरी उतरी? आइए जानते हैं इस डिटेल्ड और बेबाक रिव्यू में।
कहानी: प्यार, अपराध और गोल्ड फिश का रहस्य
‘रेट्रो’ की कहानी एक गैंगस्टर ड्रामा है, जिसमें रोमांस, सस्पेंस और थ्रिल का तड़का है। फिल्म की शुरुआत होती है तिलक (जोजू जॉर्ज) से, जो एक खतरनाक तस्कर है और अपने सौतेले बेटे पारिवेल कन्नन (सूर्या) को अपराध की दुनिया में लाता है।
लेकिन पारिवेल की ज़िंदगी बदल जाती है जब वह रुक्मिणी (पूजा हेगड़े) से प्यार कर बैठता है। वो तय करता है कि वह अपना पुराना जीवन छोड़ देगा और एक नई शुरुआत करेगा।
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती। तिलक को तलाश है ‘गोल्ड फिश’ नाम की एक रहस्यमयी वस्तु की, जिसके बारे में केवल पारिवेल जानता है। जब पारिवेल गिरफ्तार होता है, तो वह जेल से फरार हो जाता है और मदद मिलती है किंग माइकल (विदु) के गुर्गों से।
कहानी का असली खेल तब शुरू होता है, जब सवाल उठते हैं:
पारिवेल ने जेल से भागने का फैसला क्यों किया?
क्या गोल्ड फिश सिर्फ एक वस्तु है या इसके पीछे कोई बड़ा रहस्य छिपा है?
विदु की मदद के पीछे असली मंशा क्या है?
अभिनय: सूर्या shines, बाकी कलाकार बर्बाद
फिल्म की जान हैं सूर्या। चाहे एक्शन हो, इमोशन या फिर स्टाइलिश अवतार – उन्होंने हर एंगल को बखूबी निभाया है। फिल्म में उनके कई लुक्स हैं, जो कहानी के अलग-अलग टाइमलाइन को दर्शाते हैं। खासकर एक जेल ब्रेक सीक्वेंस में उनका परफॉर्मेंस लाजवाब है।
पूजा हेगड़े – ग्लैमर के अलावा कुछ नहीं
पूजा हेगड़े की भूमिका भले ही कहानी में अहम हो, लेकिन उन्हें परफॉर्म करने का ज्यादा मौका नहीं दिया गया। उनका किरदार रुक्मिणी केवल सूर्या के प्यार को दर्शाने के लिए मौजूद लगता है।
सपोर्टिंग कास्ट – प्रतिभा की बर्बादी
जोजू जॉर्ज ने तिलक के किरदार को सही निभाया है, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें उड़ान नहीं भरने देती। विदु, जो विलेन की भूमिका में हैं, कुछ हद तक प्रभावित करते हैं। लेकिन प्रकाश राज, नासर और जयराम जैसे दिग्गजों को बहुत ही सतही भूमिकाएं दी गई हैं।
म्यूजिक और तकनीकी
संगीत – फिल्म की सबसे बड़ी ताकत
संतोष नारायणन का संगीत फिल्म की रगों में दौड़ता है। ‘कन्नम्मा’ गाना और उसके पहले का सिंगल-शॉट एक्शन सीन देखने लायक है। बैकग्राउंड स्कोर भी कई जगह फिल्म को नई जान देता है।
छायांकन – कुछ फ्रेम्स लाजवाब
श्रेयास कृष्णा की सिनेमैटोग्राफी में दम है। खासकर डार्क टोन और रेट्रो थीम को उन्होंने अच्छे से पेश किया है। कुछ लोकेशंस और एक्शन सीन्स में उनका काम सराहनीय है।
एडिटिंग – कमजोर कड़ी
शफीक मोहम्मद अली की एडिटिंग और क्रिस्प हो सकती थी। फिल्म कई जगह खींची हुई लगती है, खासकर सेकंड हाफ में।
फिल्म की कमजोरियां: कहानी की सबसे बड़ी दुश्मन बनी उसकी स्क्रिप्ट
कहानी की दिशा साफ नहीं
फिल्म कभी रोमांटिक लगती है, कभी गैंगस्टर ड्रामा और कभी-कभी थ्रिलर। लेकिन यह शिफ्ट बहुत अनऑर्गेनाइज्ड है। दर्शक अक्सर कन्फ्यूज़ हो जाता है कि आखिर निर्देशक क्या दिखाना चाह रहे हैं।
स्क्रीनप्ले में दम नहीं
स्क्रीनप्ले सपाट है। न तो रिश्ते गहराई से दिखाए गए हैं, न ही किरदारों की ग्रोथ। कई सीन आते हैं और चले जाते हैं बिना किसी भावनात्मक असर के।
दूसरी छमाही पूरी तरह बिखरी हुई
फिल्म की दूसरी छमाही धीमी, भारी और अनफोकस्ड लगती है। क्लाइमेक्स तक पहुंचते-पहुंचते दर्शक का धैर्य टूटने लगता है।
एक अधूरी कोशिश
यह एक ऐसी फिल्म है जो बहुत कुछ कहना चाहती है, लेकिन उसे एक सुगठित तरीके से कहने में नाकाम रहती है। सूर्या की शानदार परफॉर्मेंस और दमदार म्यूजिक इसे देखने लायक बनाते हैं, लेकिन कमजोर कहानी और स्क्रिप्ट की वजह से फिल्म अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच पाती।
अगर आप सूर्या के डाई-हार्ड फैन हैं, तो शायद आपको फिल्म में कुछ पसंद आए। लेकिन बाकी दर्शकों के लिए यह एक मिस्ड अपॉर्च्युनिटी है।
- Retro हिंदी टीज़र/ट्रेलर : https://www.youtube.com/watch?v=-FrvnEFISWY
पुष्पा 2 : https://taazatrend.com/pushpa-2-worldwide-record/